Tuesday, November 5, 2024

First Aid

First Aid for Burn, First Aid for Burn, Snake Bite First Aid.


Friends, today I am going to tell you about such a problem which often happens in a person's life. That is a sudden accident in which the doctor is not immediately available. But the medical treatment which is required immediately at such a time is called First Aid . Let's know about it---


First Aid for Burns

  Sometimes people get caught in fire while cooking or due to some other reason. For which the following treatment is required which everyone should know.

1. If you are caught in fire, you should not run. You should lie down in a safe place and turn from side to side. This extinguishes the fire quickly. The burning body should be cut apart with a knife very carefully.

2. One should try to extinguish the fire by putting soil, blankets etc. on the burning person. The person should be covered with blankets in such a way that the air is cut off. This extinguishes the fire immediately. By putting blankets etc. and extinguishing the fire, the depth of the wound increases and the skin gets burnt deep inside. By putting water and extinguishing, blisters form but the wounds do not become deep. The fire should be extinguished as soon as possible with whatever means are available.

3. Coconut oil should be applied on the burnt area. If blisters have formed due to hot ghee or oil falling on it, then this treatment is sufficient.

4. If a large part of the body is burnt, the person should be taken to a hospital. If a large part of the body is burnt, the chances of survival of the person are less.

5. To protect the burnt area from infection, it should be washed with some antibacterial chemical like soda bicarb solution etc.

6. Cotton sticks to an open wound. Do not try to remove it if it sticks because doing so deepens the wound.

7. Burn wounds should always be kept covered so that flies and mosquitoes do not sit on them and infection does not occur.

8. Do not burst the blisters. Apply coconut oil or butter on them. Do not apply kerosene oil, petrol etc. even by mistake.

9. If a small child accidentally gets burnt by fire, keep the burnt part immersed in water until the burning sensation subsides. Applying pure honey also calms the burning sensation.

10. The burnt person should lie down on a soft and comfortable bed and keep drinking plenty of water. Keep giving nutritious food and keep consoling him mentally that he will recover soon. Water balance should be maintained in the body. For this, keep giving glucose dissolved in water.


Snake Bite First Aid

 दोस्तों हमारी पृथ्वी पर दो प्रकार के सांप पाए जाते हैं नंबर 1 विषहीन , नंबर 2 विषैले। कभी कभी ऐसा भी होता है विषहींन सर्प के काटने पर व्यक्ति घबरा कर मर जाता है। लेकिन यहां पर सर्प की पहचान के लिए हम थोड़ी जानकारी देते हैं। विषैले सर्पो  में नाग और करैत बडे़ खतरनाक होते हैं। क्रोधित होने पर यह फन फैलाकर खड़े हो जाते हैं। इनके ऊपरी जबड़े में विषैले दो  महीन दांत होते हैं । जिनके बीच दूरी आधे से 1 इंच तक होती है। इन दांतों की जड़ में विष ग्रंथियां होती हैं । सर्प जब क्रोधित हो जाता है तो उसका विष सारे शरीर से खींच कर इस ग्रंथियों में और दातों में आ जाता है तथा काटने पर ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है।रोगी नर सर्प के काटने पर ऊपर की ओर देखता है मादा सर्प के काटने पर रोगी नीचे की ओर देखता है ।  विषैले सर्प के काटने पर(.... )के आकार का चिन्ह दिखाई पड़ता है और विषहीन सर्प के काटने पर (U)के आकार का चिन्ह पड़ता है सर्प जितना विषैला होगा लक्षण भी उतने ही तीव्र और शीघ्र उत्पन्न होते हैं। विष के शरीर व्यापी लक्षण 1 घंटे के अंदर अंदर आरंभ हो जाते हैं। ठीक उपचार ना मिलने पर 12 घंटे के अंदर मृत्यु हो जाती है।

सांप के काटने पर व्यक्ति में क्या लक्षण होते हैं आइए देखते हैं

1.    सांप के काटे गए स्थान पर दांत के कांटे के निशान होते हैं कभी-कभी सूजन के कारण निशान मालूम नहीं पड़ते।

2.   रोगी उदासीन नींद में मालूम पड़ता है । ऊपर की पलक नीचे गिरती जाती है । सिर उठाना तथा पैर पर खड़े होना मुश्किल हो जाता है।

3.    कभी-कभी जी मचलाना, मल मूत्र का निकल जाना, पैरों में झनझनाहट, पुतलियां फैल जाना, दृष्टिभृम , पक्षाघात आदि सांप के विष के कारण हो जाता है।

4.   नाडियों पर दुष्प्रभाव से बेहोशी आने लगती है। मांसपेशियां ऐठने लगती हैं।चेहरे ,गले तथा स्वसन संस्थान पर  दम घुटने लगता है। जबड़ा और जीभ सिथिल हो जाते हैं। 

5.  वाइपर प्रजाति के सर्प के काटने से रक्त का थक्का जमने लगता है। रक्त कणों के टूटने से हिमोग्लोबिन प्लाज्मा में आ जाता है। जो विष के उगृ प्रभाव से मुंह, नाक, कान या मूत्र से निकलने लगता है। मस्तिष्क और आतों में रक्तसृआव से मृत्यु हो जाती है ।

  नींद आने पर किसी भी प्रकार के रोगी को सोने नहीं देना चाहिए ।  इसलिए प्राथमिक उपचार के बाद यथाशीघ्र अनुभवी चिकित्सक से चिकित्सा करानी चाहिए ।

          सर्प के काटने पर उपचार

1.    सर्प के कांटे स्थान से ऊपर की ओर 2-- 2 इंच की दूरी के तीन स्थान पर किसी सूती रस्सी से इतनी मजबूती से बांध लेना चाहिए कि निचला हिस्सा रक्तहीन मालूम पड़े।

2.    तेज चाकू से कांटे स्थान पर क्रॉस के रूप में चीरकर अधिक से अधिक ब्लड को दबा दबा कर निकाल दें। मुंह से चूस- चूस कर ब्लड को बाहर निकाल देना चाहिए। मुँह में कोई घाव नहीं होना चाहिए। मसूड़े स्वस्थ होने चाहिए तभी मुंह से चूस -चूस कर  रक्त मिले विश को निकाल देना चाहिए। चीरा लगाने से पहले स्थान को अच्छी तरह धो लें ताकि त्वचा पर पड़ा विश हट जाए।

3.   घाव को पोटेशियम परमैंगनेट के घोल से या गर्म पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए । घाव में पोटेशियम परमैग्नेट भर देना चाहिए। रोगी को जितना हो सके उतने नीम की पत्ती चबाने को देनी चाहिए । विष के प्रभाव से पति कड़वी नहीं मालूम पड़ती।

4.   सांप के काटे स्थान को हिलाना डुलाना नहीं चाहिए। हिलन डुलने से विष तेजी से फैलता है ।रोगी को चिकित्सा आदि के लिए ले जाना हो तो चलाकर नहीं बल्कि स्ट्रेचर या चारपाई पर लिटाकर ले जाना चाहिए।

    This is a proven method used by many people in case of snake bite. 

  a. Lay the patient on a cot and break a branch from a Peepal tree. Break the leaves from it and keep them aside.

b. Take one leaf in each hand and carefully insert its stem in the patient's ear. As soon as the stem touches the eardrum, the patient will start screaming and try to get up and run away. So hold it tightly. Do not let it move.

c. Ignore his screaming. Be careful while putting the stick in the ear. The leaf should be held firmly. Otherwise, the eardrum may burst. The leaf should be kept in the ear until the patient stops screaming.

d. The leaves should be changed after some time. When all the poison is removed through the leaves, the patient will stop screaming on his own. These leaves should not be thrown here and there, they should be buried in the ground. Because the poison reaches inside the leaves.


No comments:

Post a Comment

Viparita Karani VS Sarvangasana

Viparita Karani VS Sarvangasana My dear friends today I told you about difference between Viparita Karani Mudra and Sarvangasana. Procedure ...